Monday, December 27, 2010



अब फिर क्या था मंगलू को जैसे न दिन में चैन न रात में चैन .आखिर कार उसने गहन चिंतन शुरू कर दी की...... आखिर क्या बात है ...जिसकी वजह से शैतान  मेरे पीछे पड़ा है ? ....कुछ समझ में नहीं आ रहा था ...इसलिए  उसने मिलबैठकर इस समस्या का हल निकलने के लिए सोंचा ...और फिर क्या था रामू और मंगलू दोनों एक जगह बैठ कर इस समस्या के बारे में मिलकर बिचार किया और इस नतीजे पर पहुचे ...की मंगलू के पास जो जादुई बांसुरी है इसमें ही जरूर कोई बात है ...इस वजह  से शैतान  हमारे पीछे पड़ा  है रामू ने भी इस बात से सहमती जताई ...फिर क्या था मंगलू ने बांसुरी बजाकर परी रानी जिसका नाम शाहीन परी है उसको अपने पास बुलाया ...और फिर उसने इस बांसुरी के बारे में ज्यादा मालूमात शुरू कर दी ....परी रानी ने बताया की इस बासुरी से एक ऐसी आवाज निकाली  जा सकती है जिसे सुनकर शैतान  को अपने बस में किया जा सकता है ....
 मंगलू - तो परी रानी हमें वो आवाज निकालना  सिखा दो .
शाहीन  परी---   तो ठीक है एक बार लम्बी और एक बार धीमी और फिर तिन बार लम्बी आवाज निकालने से ऐसा होता है ...
मंगलू..अच्छा?
रामू .. ठीक है अगली बार से जब भी सैतान हमारे पास आकर यह बांसुरी छिनने की कोशिश  करेगा हम ऐसा ही करेंगें...
मंगलू .. भला शैतान  हमारे बांसुरी को छिनना क्यों चाहता है ?

रामू... इसलिए की सैतान इस बांसुरी को लेकर हमसे जो चाहे ,जब चाहे वो काम करवा सकता है ...
और इस तरह से बुरे कामो के लिए अपना शैतानी  राज्य स्थापित कर के हमारा इस्तेमाल कर सकता है ...
मंगलू .. अच्छा  ? फिर तो हमें इसका तुरंत ही हल निकलकर इसको  खत्म कर देना चाहिए ...
शाहीन परी.. अच्छा  तो अब हमें इजाजत दो तुम लोग हमें तुरंत ही अपने  देश में जाना होगा ..कहीं मेरे मम्मी पापा को यह बात पता न चल जाए की मैंने आदम जात से दोस्ती कर रखी है ....
मंगलू .. ठीक है शाहीन तुम जावो हम सब संभाल लेंगे अगर तुम्हारी जरूरत पड़ी  तो हम तुम्हें बुला लेंगे....
और इस तरह से परी रानी अपने देश "परियों के देश" में चली जाती है और दोनों दोस्त भी अपने अपने कार्यों में जी-जान से जुट जाते है .......

Wednesday, December 15, 2010



मंगलू  अपने  दोस्तों  के  साथ  क्रिकेट  खेल  रहा  था  के  अचानक  ही  उसका  एक  और  मित्र  जिसका  नाम  मोसित  था  वहां  आ  पंहुचा …  

मंगलू - मोसित  तुम  यहाँ ?  क्या  बात  है ?   सबकुछ  ठीक  तो  है ?

मोसित :- हाँ  यार  सबकुछ  ठीक  है  बस  एक  चिंता  सताए  जा  रही  है 
हम  लोग  सिर्फ  क्रिकेट  ही  खेलते  रहेंगे  या  कुछ  और  भी  करेंगे ?

मंगलू - बता  क्या  बात  है   ?

मोसित - अरे  यार  आज  मुझे  मम्मी  ,पापा  से  बहुत डाट  सुनने  को  मिली 
उनका  कहना  था  के  घर  की  आर्थिक  स्थिति  ठीक  नहीं  है .. इसलिए 
पढाई   लिखाई  के  साथ  ही  अगर  पार्ट  टाइम  काम  करके  कुछ  कमा   लेते  तो 
 पापा  मम्मी  का  कुछ  सहारा  बनते …

मंगलू - अच्छा  तो  ये  बात  है,  तुम  आज  मेरे  साथ  शाम   को  ५  बजे  चलना 
तुझे  मेरे  एक  अंकल  से  मिलवा  दूंगा  जो  की   एक  बहूत  ही  अच्छे  सी.ए   है ..

तुझे  वो  पार्ट  टाइम  में  काम  पर  रख  लेंगे  और  तुम्हारी  समस्या  का  समाधान  हो  जायेगा ….

मोसित  … हाँ  यार  ये  तो  बहूत  ही  अच्छा  रहेगा  और  ..इसके  साथ  ही  मेरी  ये  समस्या  भी  दूर  हो  जायेगे …

फिर  दोनों  मंगलू  और  मोसित  अपने  दोस्तों  के  साथ  क्रिकेट  खेलने  लगे …….
और  उसके  बाद  मंगलू  ने  मोसित  को  अपने  अंकल  के  पास  काम  पर  रखवा  दिया …

मंगलू  … जैसे  ही   अंकल  के  घर  से  निकला  था  के  एक  साया  उसके  पीछे-पीछे आने  लगी  … मंगलू  को  इस  बात  का  अहसास  हो  गया  …

जैसे  ही  वह  मुड़कर   देखा  तो  पाया  के  एक  चुरैल  जिसके  दोनों  पैर  पीछे  की  तरफ  था  लेकिन  मुह  आगे  की  तरफ  …मंगलू  की  तरफ  झपटी  ….

लेकिन  मंगलू  के  पास  वो  जादुई  बांसूरी  थी  …इसलिए  उस  चुरैल  का  कोई  भी  जादू  काम  नहीं  कर  रहा  था ….

अंत  में  चुरैल  और  मंगलू  के  बिच  खूब  घमाशान   युद्ध  होता  है  परन्तु  जीत  मंगलू  की  ही  होती  है ..

अंत  में  मंगलू  किसी  तरह  से  लंगारता  हुआ  अपने  घर  आ  जाता  है  … लेकिन  किसी  को  कुछ   नहीं  बताता  है  ….

और  खाना  खा  कर  सो  जाता  है ….




Sunday, November 28, 2010



रामू और मोहिनी की मुलाकात अचानक से स्थानीय बाज़ार में  हो गई और मोहिनी ने रामू को जैसे ही देखा तो बोल पड़ी .....
मोहिनी ....रामू तुम यहाँ ?......
रामू -..हाँ कुछ किताबें खरीदनी थी सो इधर को चला आया ....
रामू ....पर तुम यहाँ क्या कर रही हो?....
मोहिनी ...मम्मी ने मुझे फूल की खरीदारी के लिए भेजा है इसलिए यही पास के नर्सरी  तक जा रही हूँ ....
रामू ....आवो चलकर हम दोनों खरीदारी करें ....


इसतरह से दोनों ने अपनी-अपनी खरीदारी पूरी कर ली और घुमने फिरने के बाद एक रेस्तौरेंट में बैठकर कुछ नास्ता किया फिर कुछ मीठी-मीठी बातें की और मौका देख कर रामू ने मोहिनी को पर्पोज   कर दिया ...और फिर अपने प्यार का इजहार किया ....मोहिनी भी अन्दर से बहुत खुश  थी ...और मानो  उसके मन में जैसे लड्डू फुट रहे हो ...परन्तु शर्म के मारे उसका तो बुरा हाल हुआ जा रहा था....

Friday, November 19, 2010



दुसरे दिन सुबह उठकर रामू और मंगलू अपने स्कूल गए .....पढ़ाई लिखाई में दोनों का दिल नहीं लगता था .... लेकिन मम्मी पापा की बात कैसे टाल सकते थे ....सो दोनों ने किसी तरह से बोर्ड का इम्तेहान पास कर लिया ..... उन्ही दिनों रामो के ही क्लास में पढने वाली मोहिनी को रामू से प्यार हो गया था लेकिन उसने अभी तक रामू को नहीं बताया था ....इधर रामू को भी इस बात का एहसास धीरे धीरे हो चला था के मोहिने मुझे चाहने लगी है ........

Tuesday, November 9, 2010


बहुत देर तक गुंडों और रामू तथा उसके दोस्त मंगलू के बीच लड़ाई होती रही जब मामले को सुलझते हुए नहीं पाया .... तब मंगलू ने जादुई बांसुरी का सहारा लेकर परी को बुलाया फिर परी  ने उनसब को हवा में उड़ा-उड़ा  कर जमीं में पटक-पटक कर मारा .... सारे गुंडे बेहोश हो गए  तब परी ने मंगलू से विदा होने की इजाजत ली, और दोनों दोस्त अपने मंजिल तक आराम से पहुँच गए....दोस्त के घर में खाना खाया मूवी देखि और फिर शाम  को अपने-अपने घर आ गए ..............

Sunday, November 7, 2010



मंगलू को गाँव में वापिस देखकर सभी गाँव वाले और उसके परिवार वाले बहूत खुस थे ...
जब रामू को मंगलू ने सारा हाल बताया रो रामू चौंक गया लेकिन साथ ही मंगलू ने रामू को बताया के जो मैंने तुम्हे बताया है .....इसके बारे में हर किसी को नहीं बताना .... रामू ने उससे ऐसाही करने का वादा किया ...... सबकुछ ठीक ठाक हो गया .....और १ महीने के बाद ....फिर जब रामू और मंगलू ... अपने दोस्त के घर जा रहे थे ....की अचानक कुछ गुंडों ने उसपर हमला कर दिया ......

Wednesday, November 3, 2010


रामू को किसी तरह उसके घर ले जाया गया ....वहां अपने माता पिता से सारा हाल सुनाया ....रामू के घरवालों ने सुल्झानपुर निवासियों का धन्यवाद् किया ......

परन्तु मंगलूँ के घरवालें बहूत परेशान थे सब रो रहे थे ....उसकी मम्मी के जुबान पे सिर्फ एक ही सब्द बार बार .... आ रहा था कोई मेरे बच्चे को ढूंढो .......इस तरह से १० दिन गुजर गया ..... लेकिन मंगलू वापिस नहीं आया ......

ठीक १० दिन के बाद मंगलू अपने आप ही घर लौट आया ...अपने साथ एक बांसूरी भी साथ लाया ..... फिर उसने सबको बताया .... उसके दोस्त ने यह गिफ्ट में दिया .... परंतू अभी भी जहाँ से वह वापिस आया है उसको वहां का रास्ता नहीं .... मालूम ....सिर्फ  रामू को उसने बताया ... के ये बासूरी ...मुझे मेरे दूसरी दुनिया के दोस्त ने दिया है ....यह बासूरी मेरे मुसीबत में काम आने वाली है .....

Tuesday, November 2, 2010


कुछ ही समय में दोनों हवा में उड़ने लगे .... मंगलू तो धीरे धीरे झाडी की तरफ पहुँच गया .... तूफ़ान बहूत तेज था .... ..... फिर अचानक दोनों एक दुसरे से बिछड़ गए ..... मंगलू को सैतान ने पकड़ लिया...कुछ देर तक मंगलू चिल्लाता रहा ....उसके बाद वहां पे झाडी में एक परी आई और शैतान से मुकाबला करने के बाद मंगलू को अपने कब्जे में लिया  और उसे उठा कर अपनी दुनिया में ले गए ......तूफ़ान अब थम सा गया ..... लेकिन रामू  बहुत दूर जाकर एक गाँव के पास गिर पड़ा ..... उस गाँव का नाम सुल्झानपुर है .....जब गाँव वालों की नजर उस बच्चे पर पड़ी तो उन्होंने देखा के यह लड़का तो बेहोश पड़ा है... फिर उसे उठाया गया ....और उसके बारे में पूछा गया ... तो उसने अपना नाम पता और सब कुछ बयान कर दिया ....

Monday, November 1, 2010


खैर यह बात तो मंगलू के समझ में आ गयी .... के रामू को जो अभी परेशानी हुई थी  उसकी वजह क्या हो सकती है.....जैसे ही थोड़ी देर के बाद रामू हो होश आया...तो मंगलू ने रामू से कहा 

रामू- देखो मंगलू हमें जीतनी जल्दी हो सके येहाँ से निकल जाना चाहिए .... क्यों की ये जगह अच्छी नहीं है .... कभी भी हमारे साथ कुछ भी हो सकता है....

मंगलू - यार तू बहुत जल्दी घबरा जाता है ऐसे घबराने से काम नहीं चलेगा .....मैंभी तो देखू जरा वो है कौन ?.....

और फिर दोनों उसी तरफ निकल पड़े .....दूर दूर तक निगाह डालने के बाद उन्हें कुच्छ न दिखाई दिया .... आखिर कार जैसे हे वे वापस जाना चाहते थे ..... के जोर से आंधी और तूफान आ गया .......

Saturday, October 30, 2010


कुछ  दूर  तक  तो  वे  आते  हुए  दिखाई  दिए  लेकिन  फिर  अपने  आप  ही  न  जाने  कहाँ  चले  गए ...
दो बच्चे जिनका नाम रामू और मंगलू था वे अपने दोस्त के घर से जन्म दिन की पार्टी से वापिस अपने घर को आ रहे थे ....कुछ ही  दुरी का फासला था दोनों में तभी
चिल्लाता  हुआ  रामू  अपने  दोस्त  मंगलू  के  पास  जा  पहुंचा  ,और  बोला  ...भाई  मंगलू  मुझे  बहुत डर  लग  रहा  है  .... और  बोल  कर  कांपने  लगा  ....धीरे  धीरे  उसकी  आवाज़  बंद  होने  लगी ... किसी  तरह  से  उसका  दोस्त  मंगलू  यह  जान  पाया  की  आखिर  बात  क्या  है ... तो  पता  चला  की उसने  किसी  हवा  ( साये ) को  देख  लिया  है .....

Friday, October 29, 2010

परियों का देश


पास  के  ही  गाँव  में झाड़ी   की  तरफ  से  दो  अनजान  लोग  चले  आ  रहे  थे  रात  के  ठीक  11 बजे  होंगे