Sunday, November 28, 2010



रामू और मोहिनी की मुलाकात अचानक से स्थानीय बाज़ार में  हो गई और मोहिनी ने रामू को जैसे ही देखा तो बोल पड़ी .....
मोहिनी ....रामू तुम यहाँ ?......
रामू -..हाँ कुछ किताबें खरीदनी थी सो इधर को चला आया ....
रामू ....पर तुम यहाँ क्या कर रही हो?....
मोहिनी ...मम्मी ने मुझे फूल की खरीदारी के लिए भेजा है इसलिए यही पास के नर्सरी  तक जा रही हूँ ....
रामू ....आवो चलकर हम दोनों खरीदारी करें ....


इसतरह से दोनों ने अपनी-अपनी खरीदारी पूरी कर ली और घुमने फिरने के बाद एक रेस्तौरेंट में बैठकर कुछ नास्ता किया फिर कुछ मीठी-मीठी बातें की और मौका देख कर रामू ने मोहिनी को पर्पोज   कर दिया ...और फिर अपने प्यार का इजहार किया ....मोहिनी भी अन्दर से बहुत खुश  थी ...और मानो  उसके मन में जैसे लड्डू फुट रहे हो ...परन्तु शर्म के मारे उसका तो बुरा हाल हुआ जा रहा था....

Friday, November 19, 2010



दुसरे दिन सुबह उठकर रामू और मंगलू अपने स्कूल गए .....पढ़ाई लिखाई में दोनों का दिल नहीं लगता था .... लेकिन मम्मी पापा की बात कैसे टाल सकते थे ....सो दोनों ने किसी तरह से बोर्ड का इम्तेहान पास कर लिया ..... उन्ही दिनों रामो के ही क्लास में पढने वाली मोहिनी को रामू से प्यार हो गया था लेकिन उसने अभी तक रामू को नहीं बताया था ....इधर रामू को भी इस बात का एहसास धीरे धीरे हो चला था के मोहिने मुझे चाहने लगी है ........

Tuesday, November 9, 2010


बहुत देर तक गुंडों और रामू तथा उसके दोस्त मंगलू के बीच लड़ाई होती रही जब मामले को सुलझते हुए नहीं पाया .... तब मंगलू ने जादुई बांसुरी का सहारा लेकर परी को बुलाया फिर परी  ने उनसब को हवा में उड़ा-उड़ा  कर जमीं में पटक-पटक कर मारा .... सारे गुंडे बेहोश हो गए  तब परी ने मंगलू से विदा होने की इजाजत ली, और दोनों दोस्त अपने मंजिल तक आराम से पहुँच गए....दोस्त के घर में खाना खाया मूवी देखि और फिर शाम  को अपने-अपने घर आ गए ..............

Sunday, November 7, 2010



मंगलू को गाँव में वापिस देखकर सभी गाँव वाले और उसके परिवार वाले बहूत खुस थे ...
जब रामू को मंगलू ने सारा हाल बताया रो रामू चौंक गया लेकिन साथ ही मंगलू ने रामू को बताया के जो मैंने तुम्हे बताया है .....इसके बारे में हर किसी को नहीं बताना .... रामू ने उससे ऐसाही करने का वादा किया ...... सबकुछ ठीक ठाक हो गया .....और १ महीने के बाद ....फिर जब रामू और मंगलू ... अपने दोस्त के घर जा रहे थे ....की अचानक कुछ गुंडों ने उसपर हमला कर दिया ......

Wednesday, November 3, 2010


रामू को किसी तरह उसके घर ले जाया गया ....वहां अपने माता पिता से सारा हाल सुनाया ....रामू के घरवालों ने सुल्झानपुर निवासियों का धन्यवाद् किया ......

परन्तु मंगलूँ के घरवालें बहूत परेशान थे सब रो रहे थे ....उसकी मम्मी के जुबान पे सिर्फ एक ही सब्द बार बार .... आ रहा था कोई मेरे बच्चे को ढूंढो .......इस तरह से १० दिन गुजर गया ..... लेकिन मंगलू वापिस नहीं आया ......

ठीक १० दिन के बाद मंगलू अपने आप ही घर लौट आया ...अपने साथ एक बांसूरी भी साथ लाया ..... फिर उसने सबको बताया .... उसके दोस्त ने यह गिफ्ट में दिया .... परंतू अभी भी जहाँ से वह वापिस आया है उसको वहां का रास्ता नहीं .... मालूम ....सिर्फ  रामू को उसने बताया ... के ये बासूरी ...मुझे मेरे दूसरी दुनिया के दोस्त ने दिया है ....यह बासूरी मेरे मुसीबत में काम आने वाली है .....

Tuesday, November 2, 2010


कुछ ही समय में दोनों हवा में उड़ने लगे .... मंगलू तो धीरे धीरे झाडी की तरफ पहुँच गया .... तूफ़ान बहूत तेज था .... ..... फिर अचानक दोनों एक दुसरे से बिछड़ गए ..... मंगलू को सैतान ने पकड़ लिया...कुछ देर तक मंगलू चिल्लाता रहा ....उसके बाद वहां पे झाडी में एक परी आई और शैतान से मुकाबला करने के बाद मंगलू को अपने कब्जे में लिया  और उसे उठा कर अपनी दुनिया में ले गए ......तूफ़ान अब थम सा गया ..... लेकिन रामू  बहुत दूर जाकर एक गाँव के पास गिर पड़ा ..... उस गाँव का नाम सुल्झानपुर है .....जब गाँव वालों की नजर उस बच्चे पर पड़ी तो उन्होंने देखा के यह लड़का तो बेहोश पड़ा है... फिर उसे उठाया गया ....और उसके बारे में पूछा गया ... तो उसने अपना नाम पता और सब कुछ बयान कर दिया ....

Monday, November 1, 2010


खैर यह बात तो मंगलू के समझ में आ गयी .... के रामू को जो अभी परेशानी हुई थी  उसकी वजह क्या हो सकती है.....जैसे ही थोड़ी देर के बाद रामू हो होश आया...तो मंगलू ने रामू से कहा 

रामू- देखो मंगलू हमें जीतनी जल्दी हो सके येहाँ से निकल जाना चाहिए .... क्यों की ये जगह अच्छी नहीं है .... कभी भी हमारे साथ कुछ भी हो सकता है....

मंगलू - यार तू बहुत जल्दी घबरा जाता है ऐसे घबराने से काम नहीं चलेगा .....मैंभी तो देखू जरा वो है कौन ?.....

और फिर दोनों उसी तरफ निकल पड़े .....दूर दूर तक निगाह डालने के बाद उन्हें कुच्छ न दिखाई दिया .... आखिर कार जैसे हे वे वापस जाना चाहते थे ..... के जोर से आंधी और तूफान आ गया .......