Wednesday, February 23, 2011

और फिर अपनी पढाई  पूरी करने के बाद पंकज दिल्ली चला जाता है ...फिर वहां अपने एक दोस्त श्याम के घर रुकता है ...वहां जाकर बच्चो को पढ़ाने का एक छोटा सा स्कूल चलता है ...और उन्ही दिनों उसके संपर्क में एक जादूगर  आता है .जिसका नाम बंसीधर होता है ...बंसीधर को वह अपना गुरु बना लेता है ....और इस तरह से पांच साल में वह एक बड़ा जादूगर बन जाता है ....उन्ही दिनों की बात है के पंकज को एक बाबा मिलते है ...बाबा अंधे होते है ...बाबा को सड़क पार करनी होती है ...पंकज बाबा को सड़क पार करने में उनकी पूरी मदद करता है ...फलस्वरूप  बाबा पंकज को गले लगा लेते है ...और फिर उसको एक आशीर्वाद देते है ...बेटा तुम इस संसार में महान करने के लिए आये हो ...और तुम उस शक्ति का प्रयोग सदुपयोग के लिए करना ...इसमें तुम्हारी मदत इश्वर भी पूरी तरह से करेगा  ...जो भी अच्छा कार्य हो सके मानव जाती के कल्याण के लिए, वही करना ....और यह बोल कर बाबा लुप्त हो जाते है .....


इस मिलन से पंकज को एक अद्भुत शक्ति प्राप्त होती है ....फिर पंकज यह भी भूल जाता है के वह अपने दोस्त के घर रहता है और एक स्कूल चलाता है ....
सो वह आगे को बढ़ जाता है रोजगार की तलाश में ...रस्ते में सड़क का निर्माण कार्य चलता रहता है ..वहां पर उसकी मलाकात एक ठग से होती है ...पंकज उससे काम के लिया बोलता है ...लेकिन पूरी महीने का कार्य करने के बाद वोह ठग उसके पैसे ले कर भाग जाता है ....

फिर क्या था वह  खाने पिने लिए भी मुहताज हो जाता है ...ये दुनिया बहुत सताती है उसे ...फिर वह अपने जादुई शक्ति का प्रयोग करके उस ठग तक पहुच जाता है ...और उसे सजा देता है .....
फिर वह  एक व्यक्ति से मिलता है ....उसे अपना हाल बताता है ....फिर पंकज की एक छोटी सी नौकरी लगवाता है ....जिसमे पंकज पूरी तरह से सफल रहता है .....जब ये बात उसके पुराने दोस्त को पता चलता है किसी तरह से, तो पंकज को पुरानी बाते याद दिलाता है ...और फिर दोनों दोस्त एक साथ रहने लगते है .....

फिर क्या था उस इलाके में किसी के साथ कोई भी समस्या आती तो उसका समाधान वह  तुरंत कर देता ....स्थानीय निवासी पंकज को अब सिनिअर जी के नाम से बुलाने लगे ....

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