Sunday, February 6, 2011

सिनिअर उस्ताद


बहुत देर से ये सोंच कर सभी परिवार वाले हैरान थे के आज कल के इस जमाने पे बच्चों को किस तरह की तालीम दी जाए की उनका भी भला हो सके और समाज का भी भला हो सके ....तभी घनस्याम जी ने कहा ...भाई तुम अपने बेटे को इंजिनियर बना दो ....अरविन्द ने कहा के नहीं तुम उसे डॉक्टर बना दो ...भगवत जी ने कहा अरे उसे वकील बना दो ....चारो भाइयों ने अपने अपने विचार रख दिया ...लेकिन दीनानाथ जी के दिमाग में तो एक ऐसी बात चल रही थी जिसका किसी को भी अंदाजा नहीं था ...और उन्होंने कहा ...के देखो भाई मैं अपने बच्चे को एक ऐसा इंसान बनाना चाहता हूँ जिसके अन्दर ये सारे गुण मौजूद हो ....तो अंगद जी ने ये कहते हुए चुटकी ली के भाई तो पंकज को जादूगर बना दे ...और फिर सभी जोर से ठहाके मार मार के हंसने लगे ....तभी वहां पे पंकज आ गया जो को अभी तो क्लास ६ में पढ़ रहा था ...उसने पूछा पापा ये किसको जादूगर बनाने की बात चल रही है ?
मुझे ? हां मेरी भी येही इच्छा है के मैं एक जादूगर बनू ......

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